100+ Information & Facts About Crocodile in Hindi

Crocodile Facts in Hindi - दोस्तों आज हम मगरमच्छ से जुड़े कुछ रोचक तथ्य जानेंगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि मगरमच्छ की प्रजाति एक ऐसी प्राचीन प्रजाति है जो कि Dinosaurs के समय से पृथ्वी पर मौजूद है। मगरमच्छ कई तरह के स्थान पर जीवित रह सकते है जैसे कि नदी, झील और खारे पानी में रह सकते है।
मगरमच्छ और घड़ियाल समान दिखाई देते है पर मगरमच्छ और घड़ियाल अलग-अलग जैविक परिवारों से संबंधित है। एक और स्पष्ट लक्षण यह है कि मगरमच्छों के ऊपरी और निचले जबड़े एक ही चौड़ाई के होते है। मगरमच्छ के पैर के पंजे पर अधिक बद्धी होती है और नमक को छानने के लिए विशेष नमक ग्रंथियों के कारण खारे पानी को बेहतर तरीके से सहन कर सकते है, जो मगरमच्छों में मौजूद होते है, लेकिन गैर-कार्यशील होते है। एक अन्य गुण जो मगरमच्छों को अन्य मगरमच्छों से अलग करता है, उनकी आक्रामकता का उच्च स्तर है। कई प्रजातियां विलुप्त होने के खतरे में है, कुछ को गंभीर रूप से संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया गया है। तो चलिए अब हम आपको मगरमच्छों से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और बातें (Facts & Information About Crocodile) बताते है।

Information & Facts About Crocodile in Hindi

मगरमच्छ के बारे में रोचक जानकारी और तथ्य – Crocodile Information in Hindi

  • मगरमच्छ 30 साल से लेकर 70 साल तक जिन्दा रह सकते है।
  • मगरमच्छ के मुँह में 24 नुकीले दांत होते है। लेकिन फिर भी मगरमछ कुछ भी खाने की बजाए सीधा निगलना ज्यादा पसन्द करते है।
  • माना जाता है कि मगरमच्छ की प्रजाति एक प्राचीन प्रजाति है जो कि dinosaur के समय से धरती पर है। इसका मतलब ये कि ये प्रजाति 240 मिलियन वर्ष पुरानी प्रजाति है।
  • मगरमछ फल सब्जियां नहीं खाते क्यूंकि वो मासाहारी होते है।
  • अपनी लम्बी पूंछ की वजह से मगरमच्छ पानी में 25 मील प्रति घंटा की रफ़्तार से तैर सकते है।
  • अपने पेट की अम्लीयता को उदासीन करने के लिए मगरमच्छ क्षारीय द्रव छोड़ते है। इसके कारण ही इनका खुद का पेट पच जाने से बच पाता है।
  • मगरमच्छ कभी भी अपने शिकार को जिंदा रहते हुए नहीं काटते-फाड़ते। वे उसे खींचकर पानी में ले जाते है, ताकि वह पानी में डूबकर मर जाये। फिर वे उसके शरीर को काटकर और चीरकर खाना प्रारंभ करते है।
  • मगरमच्छों को अक्सर शिकार मुँह में दबाये पानी में लोटते हुए देखा जाता है। ऐसा ये शिकार पाने की ख़ुशी में नहीं करते। असल में हाथ न होने के कारण ये शिकार के मांस को चीर पाने में अक्षम होते है। इसलिए दो मगरमच्छ शिकार को अपने जबड़े में पकड़ते है। फिर उनमें से एक लोटने लगता है या दोनों विपरीत दिशा में लोटने लगते है। इससे शिकार का मांस छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाता है। इस प्रकिया को ‘डेथ रोल’ (Death Roll) कहा जाता है।
  • मगरमच्छ और घड़ियाल (Crocodile v/s Alligator) एक नहीं होते। मगरमच्छ आकार में घड़ियाल से कहीं अधिक बड़े होते है। इनका जबड़ा वी-शेप का होता है और बंद होने पर भी इनके कुछ दांत दिखते रहते है। वहीं घड़ियाल (alligator) का जबड़ा यू-शेप का होता है और बंद होने पर इनके दांत नहीं दिखते।
  • मगरमच्छ (Crocodile) का गला घड़ियाल (alligator) की तरह संकरा न होकर चौड़ा होता है। इस कारण यह छोटे-मोटे जानवरों को समूचा निगल जाता है।
  • मगरमच्छों को सांस लेने के लिए पानी की सतह के बाहर थोड़ी-थोड़ी देर में आना पड़ता है। लेकिन आवश्यकता पड़ने पर ये पानी के भीतर 5 से 6 घंटे आराम से बिता सकते है।
  • ज्यादातर मगरमच्छ अपना मुँह खोलकर सोते है।
  • मगरमच्छ के गले के पीछे एक वाल्व होती है, जिसके कारण ये पानी के अंदर भी अपना जबड़ा खोलकर रख सकते है।
  • मगरमच्छ रात में जब पानी के भीतर से बाहर देखते है, तो इनकी आँखें लाल डॉट की तरह दिखाई पड़ती है।
  • मगरमच्छ की एक अनोखी बात यह है कि यह अपनी एक आँख खोलकर सो सकता है।
  • मादा मगरमच्छ एक साथ 20 से 80 अंडे देती है और 3 माह तक इन अंडों की देखभाल करती है। लेकिन इनमें से 99% मगरमच्छ बड़े होने के पहले ही मर जाते है या फिर किसी जानवर का शिकार हो जाते है।
  • मादा मगरमच्छ मिट्टी के घोंसले बनाकर अपने अंडों को उनमें दबा देती है और फिर उन घोंसलों की देखभाल करती है। जब बच्चे अंडे में से निकलने वाले होते है, तो आवाज़ करते है। इस आवाजों को सुनकर मादा मगरमच्छ घोंसलों से मिट्टी हटाकर बच्चों को बाहर निकाल लेती और अपने मुँह में दबाकर सीधा पानी में ले जाती है।
  • 99% मगरमछ के बच्चे जीवन के पहले साल में बड़ी मछलियों और छिपकलियों के द्वारा खा लिए जाते है।
  • मादा मगरमच्छ एक समय में 10 से 60 अण्डे देती है। मगरमच्छ अपने अण्डे घोसलो या होल्स में देते है और अण्डे से निकले वाले मगरमच्छ का लिंग घोंसले के तापमान पर निर्भर करता है।
  • पृथ्वी पर मगरमच्छ (Crocodile) की 23 विभिन्न प्रकार की प्रजातियाँ पाई जाती है। लेकिन इनमें से कई प्रजातियाँ विलुप्ति की कगार पर है।
  • ‘मचिमोसौरस रेक्स’ (Machimosaurus Rex) दुनिया का सबसे बड़ा मगरमच्छ था। इसका आकार बस जितना बड़ा था। इसकी लंबाई 30 फीट और वजन 3 टन था। इसकी खोपड़ी 5 फुट लंबी थी।
  • मगरमच्छ कई स्थानों में रह सकते है, जैसे झील, नदी, ताज़ा पानी, खारा पानी, brackish water (ताज़े और खारे पानी का मिश्रण)।

Information About Crocodile in Hindi

  • मगरमच्छ एशिया (Aisa), ऑस्ट्रेलिया (Australia), अफ्रीका (Africa) और अमेरिका (America) के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों (Tropical Regions) में पाए जाते है।
  • मगरमच्छों के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों (Tropical Regions) में पाए जाने का मुख्य कारण यह है कि ये ठंडे खून वाले जीव (Cold Blooded Animal) होते है। इस कारण ये स्वयं का ताप उत्पन्न नहीं कर सकते।
  • Cold Blooded होने के कारण मगरमच्छ गर्म मौसम में भूमिगत आश्रय में प्रसुप्त अवस्था में पड़े रहते है। इसे ग्रीष्म निष्क्रियता (Aestivation) कहते है।
  • मगरमच्छ की खाल सभी वन्य प्राणियों की खालों में सर्वोत्तम मानी जाती है। इसकी गुणवत्ता उच्च होती है और ये काफ़ी मजबूत होती है। ऐसी कई आदिवासी जातियाँ है, जो मगरमच्छ की खाल रखना status symbol मानती है।
  • मगरमच्छ की खाल का इस्तेमाल जूते, जैकेट, पर्स बनाने में किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में मगरमच्छ के खाल से बने बैग्स और जैकेट्स की कीमत हजारों-लाखों में होती है।
  • मगरमच्छ (Crocodile) के रक्त और पित्त की भी मांग बहुत अधिक है। इसका इस्तेमाल दवाइयां बनाने में होता है। इसके 1 लीटर रक्त की कीमत लगभग 1000 रुपये है और इनके पित्त की कीमत लगभग 76,000 रुपये है।
  • मगरमच्छ का रक्त HIV और MRSA Virus को नष्ट कर सकता है।
  • आकार में खारे पानी के मगरमच्छ (Saltwater Crocodiles) मीठे पानी के मगरमच्छ से ज्यादा बड़े होते है। इनकी लंबाई लगभग 5 से 7 फीट तक होती है और वजन लगभग 900 किलोग्राम से 1000 किलोग्राम तक होता है। अब तक का सबसे बड़ा साल्टवाटर क्रोकोडाइल (Saltwater Crocodiles) आश्चर्यजनक रूप से 20.24 फ़ीट लंबा था।
  • विश्व के सबसे बड़े मगरमच्छ की प्रजातियाँ भारत, फिजी और ऑस्ट्रेलिया के खारे पानी में पाई जाती है। इस प्रजाति को क्रोकडोलस पोरारस (Crocodylus Porosu) के नाम से जाना जाता है। इसकी लंबाई 123 फीट और वजन वजन 100 किलोग्राम तक हो सकता है।
  • अंगुलियाँ आधी दूर तक एक प्रकार की झिल्ली से जुटी रहती है। बाहरी अंगूठा लगभग पूरा जुटा रहता है।
  • नथुने और आँखे उपर की ओर उभरी रहती है जिससे यह अपने शरीर को पानी में रखकर इन्हें पानी के उपर निकाले रहता है। इन आँखों में एक प्रकार का परदा सा रहता है जिसे यह पानी में भीतर जाते ही चढ़ा लेता है। यह मैले हरे या जैतूनी रंग का होने के कारण पानी में छिप सा जाता है। दूर से यह लकड़ी जैसा लगता है।
  • जंगल के जलाशयों में ये रात को पानी से बाहर निकलकर सूखे में मीलो तक चक्कर लगा आते है और छोटे जीवो को पकडकर चट कर जाते है। यह किसी जलाशय के किनारे सूखे में धुप सेंका करते है। जरा सी आहट पाते ही तुरंत पानी के भीतर चले जाते है।
  • मगरमच्छ (Crocodile) के पूरे शरीर पर, विशेषकर जबड़े में, sensors होते है। ये sensors उनके मष्तिष्क से जुड़े होते है। इनके कारण ही मगरमच्छ पानी में होने वाली छोटी से छोटी हलचल को भांप जाते है और अपने शिकार का पता लगाकर उस पर हमला कर पाते है।
  • मगरमच्छ के सिर पर दिखने वाली लकीरें वास्तव में लकीरें नहीं होती। बल्कि वे उनकी त्वचा की दरारें होती है।
  • प्राचीन मिश्र के निवासी मगरमच्छ के गोबर का इस्तेमाल गर्भनिरोधक के रूप में करते थे।
  • प्राचीन मिश्र में एक शहर क्राकोदिलोपोलिस था। उस शहर की एक झील में मगरमच्छों को गहनों से सजाया जाकर उनकी पूजा की जाती थी।
  • ऐस्तुराइन क्रोकोडाइल श्रीलंका और फिजी द्वीपों,उत्तरी ऑस्ट्रलिया में मिलता है। यह 10 मीटर लम्बा मगर नदियों और लवणीय जलो के मुहानों पर मिलता है।खुले समुद्रो में यह मीलो तक दूर तक तैरता है।
  • न्यू वर्ल्ड में भी मगरमच्छ पाए जाते है। उत्तरी प्रजाति हल्का जैतूनी मगर Sharped Nose होता है। यह फ्लोरिडा के दक्षिण में, पेनिजुएला, क्यूबा के द्वीपों, जमैका,मेक्सिको,मध्य अमेरिका के दक्षिणी भागो से वेनेजुएला, कोलम्बिया,इक्वाडोर और उत्तरी पेरू में पाया जाता है। यह प्रजाति 3.5 मीटर लम्बाई में होती है।
  • BullBrowse Crocodile ब्रिटिश हांदुरा और ग्वाटेमाला में पाया जाता है। यह 2.5 मीटर लम्बाई में होता है। दक्षिणी अमेरिका में औरिनाको नदी में ओरीनाको क्रोकोडाइल मिलता है। यह 15 फीट लम्बा होता है।
  • मगरमच्छ में स्तनधारी (Mammal) और सरीसृप (Reptile) दोनों का गुण होता है। जमीन पर होने पर इनका ह्रदय स्तनधारियों (Mammals) की तरह काम करता है और पानी में सरीसृपों (Reptiles) की तरह. इसलिए मगरमच्छ पानी में भी लंबे समय तक रह सकते है।

Facts About Crocodiles And Alligators

  • आपने अक्सर मगरमच्छ को नदी किनारे जबड़े खोलकर लेटे हुए देखा होगा। इसका अर्थ ये नहीं है कि ये आक्रमण की तैयारी में है। असल में, ऐसा ये खुद को ठंडा रखने के लिए करते है, विशेषकर गर्मियों के मौसम में। पसीने की ग्रंथी (Sweat Gland) नहीं होने से मगरमच्छों को पसीना नहीं आ पाता। ऐसे में ये अपने शरीर की गर्मी मुँह द्वारा बाहर निकालकर ख़ुद को ठंडा रखते है।
  • क्रोक्रोडायल फार्मिंग के एक बिज़नस का रूप ले लिया है। इसमें अव्वल स्थान थाईलैंड (Thailand) का है। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया (Australia) और दक्षिण अफ्रीका (South Africa) है।
  • मगरमच्छ की पीठ की खाल बहुत कठोर होती है। इतनी की कि बुलेट से भी इसे भेदा नहीं जा सकता। यह हड्डीनुमा संरचना (bony structure) से निर्मित होती है, जिसे osteoderms कहते है। यह osteoderms ही मगमच्छों की पीठ की खाल को bulletproof बनाता है। लेकिन मगमच्छों के पेट की चमड़ी बहुत मुलायम होती है।
  • मगरमच्छ (crocodile) की जबड़ा खोलने वाली मांसपेशियाँ बहुत कमज़ोर होती है। इस कारण इसके बंद जबड़े को इंसान खाली हाथों से भी आसानी से बंद कर रख सकता है। इसके विपरीत मगमच्छों के जबड़ा बंद करने वाली मांसपेशियाँ बहुत मजबूत होती है। इस कारण वे अपना जबड़ा मजबूती के साथ बंद करते है।
  • संपूर्ण प्राणी जगत में काटने की सबसे ज्यादा शक्ति मगरमच्छ में होती है। National Geographic के अनुसार साल्टवाटर मगरमच्छ का सबसे strongest bite force 3700 pounds/inch होता है, जो 16460 newtons के बराबर होता है।
  • Aestivation के समय मगमच्छ का heart rate 40 bpm से गिरकर 5 bpm हो जाता है।
  • मगरमच्छ के मुँह में 24 दांत होते है, जो बेहद नुकीले होते है। इसका जबड़ा भी बहुत मजबूत होता है। इसके बावजूद ये अपने शिकार को चबाने के स्थान पर निगलना पसंद करते है।
  • मगरमच्छ के बारे में एक अनोखी बात यह भी है कि शिकार को निगलने के बाद ये पत्थर के टुकड़े भी निगल जाते है। पत्थर के टुकड़े पेट में जाकर भोजन को तोड़कर और पीसकर चूरा बना देते है। यह प्रक्रिया भोजन पचाने में सहायक होती है।
  • मगरमच्छ अपनी जीभ न तो हिला सकता है, न ही मुँह एक बाहर निकाल सकता है। जीभ का काम भोजन पचाने के लिए जूस उत्पन्न करना है। यह जूस लोहे को भी गला सकता है।
  • क्या आप जानते है मगरमच्छ अपने भोजन को पचाने और तोड़ने के लिए पथर के टुकड़े निगल जाते है।
  • सबसे बड़ा मगरमच्छ खारे पानी का मगरमच्छ है जिसे साल्टवाटर क्रोकोडाइल कहते है और जो 7 फुट तक लम्बा और 1200 किलो तक वजनी हो सकता है।
  • एक मगरमच्छ में मेमल्स और रेप्टाइल्स दोनों के गुण होते है। ऐसा इसलिए क्यूंकि जब मगरमच्छ जमीन पर होता है तो उसका हार्ट एक मैमल की हार्ट की तरह से काम करता है। लेकिन जब मगरमच्छ पानी में होता है तब उसका हार्ट एक रेप्टाइल् के हार्ट की तरह से काम करता है। इसलिए मगरमछ पानी में लम्बे समय तक रह सकते है।
  • मगरमछ जब किसी जानवर को खाता या निगलता है तो मगरमच्छ रोता है। ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि मगरमच्छ किसी जानवर को खाते हुए बहुत सी हवा निगल जाते है और ये हवा आंसू पैदा करने वाले लचरिमल ग्लैंडस के सम्पर्क में आ जाती है जिसकी वजह से आंसू निकलते है।
  • मगरमच्छ दो प्रकार के होते है: खारे पानी के मगरमच्छ (Saltwater Crocodiles) और मीठे पानी के मगरमच्छ (Freshwater Crocodiles)। खारे पानी के मगरमच्छ समुद्र और नदियों के मुहानों पर पाए जाते है। वहीं मीठे पानी के मगरमच्छ नदियों, झीलों और दलदली क्ष्रेत्रों में पाए जाते है।
  • सबसे छोटा मगरमच्छ ड्वार्फ मगरमच्छ (Dwarf Crocodile) होता है। इसकी लंबाई 5 फुट तक होती है और वजन 32 किलो तक होता है।
  • Aestivation के समय मगमच्छ हर 2 मिनट में 1 या 2 बार ही सांस लेते है। इनके शरीर का तापमान भी 15 डिग्री गिर जाता है। जो इनका metabolic rate भी गिरा देता है।

Facts About Crocodile in Hindi

  • किसी भी कशेरुकी प्राणी (vertebrate) में मगरमच्छ का पेट सबसे ज्यादा अम्लीय (acidic) होता है। इस कारण ये अपने शिकार की हड्डियों, सींग, खुर आदि आसानी से पचा जाते है।
  • मगरमच्छ जब चिड़ियाघर में हों, तो मरे हुए चूहे, मछलियाँ आदि खाते है। जंगल में ये कठोर चमड़ी वाले जानवर, मेंढक, मछली, हिरण, पक्षी और कभी-कभी तो इंसानों का भी शिकार कर उन्हें अपना भोजन बनाते है।
  • मगरमच्छ की दृष्टि तीव्र होती है। रात में ये इनकी दृष्टि दिन के अपेक्षा और बेहतर होती है।
  • मगरमच्छ पानी के भीतर भी स्पष्ट रूप से देखने की क्षमता होती है।
  • रात के समय मगरमच्छ की आँखें चमकती हुई दिखाई देती है। ऐसा इसमें पाए जाने वाले चमकदार पदार्थ के कारण होता होता है, जो रात में चमकता है।
  • मगरमच्छों के घोंसले का तापमान यह निर्धारित करता है कि अंडों में से निकलने वाले मगरमच्छ का लिंग क्या होगा? घोंसले का तापमान 31.6 डिग्री सेल्सियस होने पर ही नर मगरमच्छ पैदा होते है। इससे अधिक या कम तापमान होने पर मादा मगरमच्छ पैदा होती है।
  • मगरमच्छ का शिकार इसकी मांस और खाल के लिए किया जाता है। खाने और दवाई के साथ ही इसका व्यावसायिक इस्तेमाल भी किया जाता है। सबसे पहले इसका व्यावसायिक इस्तेमाल 1800 के दशक में उत्तरी अमरीका में हुआ था। 1950 के बाद से दक्षिण अमरीका (South America) में भी व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए मगरमच्छ का शिकार प्रारंभ हुआ।
  • मगरमच्छ में अपना ठिकाना/निवास पहचाने की क्षमता होती है। एक बार उत्तरी ऑस्ट्रलिया (North Australia) में 3 साल्टवाटर मगरमच्छ को हेलीकाप्टर द्वारा 400 किलोमीटर दूर छोड़ दिया गया। लेकिन वे वहाँ से अपने ठिकाने पर 3 हफ़्ते में वापस लौट आये।
  • मगरमच्छ घात लगाकर हमला करने वाले जीव है। ये अपने शिकार का पीछा नहीं करते, बल्कि चुपचाप शिकार के पास आने का इंतजार करते है।
  • प्राचीन मिश्र में मान्यता थी कि मगरमच्छों में उनके सोबाक देवता की आत्मा है। इसलिए वहाँ मगरमच्छों की ममी बना दी जाती थी।
  • मगरमच्छ (Crocodile) प्रतिवर्ष लगभग 1000 इंसानों पर हमला कर उन्हें मार डालते है। इंसानों पर मगरमच्छ के अधिकांश हमले अफ्रीका में होते है।
  • एक बार अफ्रीका (Africa) में गुस्ताव नामक मगरमच्छ ने 300 लोगों को मार डाला था।
  • मगरमच्छ के जबड़े की पकड़ से बचने के लिए उसकी आँखों को अपने अंगूठे से दबायें। वह आपको तुरंत छोड़ देगा।
  • मगरमच्छ (Crocodile) और घडियाल अपना अधिकतर समय पानी में गुजारते है पर वे उभयचर नही है। वे रेंगने वाले प्राणी है। ये नदियों में रहते है और एक अपवाद के सिवाय कभी समुद्र में नही जाते। यह अपवाद खारे पानी का मगर है जो भारत, मलाया और पूर्वी ऑस्ट्रेलिया के किनारों पर मिलता है। इस प्रकृति का मगरमच्छ लम्बाई में 20 फीट से ज्यादा होता है और नर भक्षी होता है।
  • मादा सफेद अंडे देती है। ये अपने अंडे बालू में गाड़ लेते है और उनकी रक्षा करती है।
  • मगरमच्छ की दुम लम्बी,चपटी और मजबूत होती है। इसकी दुम में बड़ी ताकत होती है। दुम को इधर-उधर चलाकर पानी में आगे की ओर तेजी से बढ़ते है। दुम ही इनका अस्त्र है जिसमे लपेटकर किनारे पर के जीवो को पानी में घसीट लेते है। इसके थूथन की हड्डी मजबूत होती है।
  • अधिकतर समय मगरमच्छ सूर्य की ओर पीठ किये अपना खाना पचाते हुए कीचड़ में पड़े रहते है। आवश्यकता होने पर तेजी से पानी में सरक जाते है।
  • बहुत से अमीर लोग मगरमच्छ की खाल को एक स्टेटस सिंबल की तरह से भी इस्तेमाल करते है जिसकी वजह से भी मगरमच्छों की प्रजातियां खतरे में है।
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